ब्रिटेन के प्लाइमाउथ डेरीफोर्ड हॉस्पिटल के कैंसर विशेषज्ञ प्रोफेसर सैयद हुसैन ने बताय कि ये नई दवा 'एटिजोलीजुमैब' से नई उम्मीद मिली है. इससे उन मरीजों को भी पहले की अपेक्षा लंबी जिंदगी दी जा सकती है जो ब्लैडर कैंसर के एडवांस स्टेज में पहुंच चुके हैं और उन पर कीमोथेरेपी का कोई असर नहीं हो रहा है. 'एटिजोलीजुमैब' इम्यूनोथेरेपी में इस्तेमाल होने वाली दवा है जो कई तरह के कैंसर पर असरदार हो सकती है.
प्रोफेसर हुसैन के अनुसार कीमोथेरेपी से कैंसर कोशिकाएं नष्ट हो जाती हैं, जबकि इम्यूनोथेरेपी शरीर के प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत करके कैंसर कोशिकाओं से लड़ने में मदद करती है.
फिलहाल इस दवा का परीक्षण फेफड़ों के कैंसर के संभावित इलाजों पर भी किया गया है चूंकि ब्रिटेन में कैंसर के सबसे ज्यादा मरीज हैं. कैंसर विशेषज्ञों का कहना है कि यह 20 सालों में खोजी गई सबसे असरकारक दवा है. इसे हर तीन हफ्ते में एक बार मरीज के शरीर में डाला जाता है. 'एटिजोलीजुमैब' कैंसर कोशिकाओं की सतह पर पाए जाने वाले पीडी-एल1 को रोक देता है पीडी-एल1 कैंसर कोशिकाओं को प्रतिरक्षा तंत्र द्वारा पहचान करने से छुपाता है, लेकिन इस दवा के इस्तेमाल बाद यह प्रक्रिया रुक जाती है और ट्यूमर को खत्म करने में मदद मिलती है.
हुसैन ने बताया कि ब्लैडर का कैंसर 'सिंड्रेला' कैंसर कहलाता है. इसके लिए लक्षण प्राय: दिखाई नहीं देते हैं और कब बीमारी फैल जाती हैपता ही नहीं चलता. ज्यादातर मामलों में इसका असर तब पता चलता है जब कोशिकाएं मूत्राशय के बाहर भी असर डालने लगती हैं. इस बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति को बेहतर इलाज न मिले तो साल भर के अंदर ही उसकी मौत हो सकती है.