▪ कमरदर्द और पेट की समस्या दूर करता है शलभासन।
▪ यह आसन भी पेट के बल लेटकर किया जाता है।
▪ रोज करने से सीना चौड़ा और कमर लचीला होता है।
▪ भूख न लगना, अपच, गैस आदि समस्या दूर करता है।
▪ यह आसन भी पेट के बल लेटकर किया जाता है।
▪ रोज करने से सीना चौड़ा और कमर लचीला होता है।
▪ भूख न लगना, अपच, गैस आदि समस्या दूर करता है।
● योग के बहुत फायदे हैं, योग से सकारात्मकता आती है साथ ही यह बीमारियों
को दूर कर आपको निरोग रखता है। योग का फायदा तभी मिलता है जब आप इसे सही
तरीके से करते हैं। शलभासन भी ऐसा योगासन है जो पाचन शक्ति के साथ ब्लड
प्रेशर के रोगियों के लिए भी प्रभावी है। चेहरे और बालों के झड़ने की
समस्या इस आसन से दूर होती है, यह रक्त संचार सुचारु कर दूसरी बीमारियों
से भी निजात दिलाता है। इसे करने के लिए पेट के बल लेट जाइए। पैरों को पास
में रखें, धीरे से दोनों हाथों को जांघों के नीचे रखें। फिर सांस लेते हुए
जांघों से पैर को ऊपर की तरफ उठायें, फिर कुछ समय के लिए उस स्थिति में
रुकें। फिर धीरे-धीरे पैरों को सामान्य स्थिति में लायें और फिर हाथों को
बाहर निकालें।
● शलभासन ऐसा योगासन है जो कमरदर्द का रामबाण इलाज है। शलभ एक किट को कहते है और शलभ टिड्डे को भी। इस आसन में शरीर की आकृति कुछ इसी तरह की हो जाती है इसीलिए इसे शलभासन कहते है। यह लेटकर पेट के बल किए जाने वाला आसन है। इसे सही तरीके से करने और इससे होने वाले फायदों के बारे में हम आपको बताते हैं।
》 कैसे करें शलभासन :-
इस आसन की गिनती भी पेट के बल लेटकर किए जाने वाले आसनों में की जाती है। इसे करने के लिए पेट के बल लेटकर सबसे पहले ठोड़ी को जमीन पर टिकाएं। फिर दोनों हाथों को जंघाओं के नीचे दबाएं। तब श्वांस अन्दर लेकर दोनों पैरों को एक-दूसरे से सटाते हुए समानांतर क्रम में ऊपर की तरफ उठाएं। पैरों को और ऊपर उठाने के लिए हाथों की हथेलियों से जंघाओं को दबाएं। फिर सामान्य स्थिति में आने के लिए धीरे-धीर पैरों को जमीन पर ले आएं। फिर हाथों को जंघाओं के नीचे से निकालते हुए मकरासन की स्थिति में लेट जाएं।
》 शलभासन के फायदे :-
नियमित इस आसन का अभ्यास करने से कमर लचीली बनती है और सीना चौड़ा होता है, रक्त संचार तेज हो जाती है। पेट के अनेक रोग-अम्लता गैस बनना, पेट में गुड़गुड़ाहट, भूख न लगना, अपच आदि समस्यायें नहीं होतीं। यह आसन गर्भाशय संबंधी रोगों को दूर करता है। यह दिमाग को भी तेज कर सकारात्मकता लाता है। इस आसन के अभ्यास से मधुमेह में लाभ मिलता है।
》शलभासन में सावधानी :-
इस आसन का अभ्यास करते समय थोड़ी सावधानी बरतना जरूरी है। इसके दौरान घुटने से पैर नहीं मुड़ना चाहिए। ठोड़ी जमीन पर टिकी रहे। 10 से 30 सेकंड तक इस स्थिति में रहें। जिन्हें मेरुदण्ड, पैरों या जंघाओं में कोई गंभीर समस्या हो वह योग चिकित्सक से सलाह लेकर ही यह आसन करें।
हालांकि शलभासन बहुत ही आसान योगासन है, लेकिन योग का कोई भी आसन तभी फायदेमंद होगा जब आप उसे सही तरीके से करेंगे।
● शलभासन ऐसा योगासन है जो कमरदर्द का रामबाण इलाज है। शलभ एक किट को कहते है और शलभ टिड्डे को भी। इस आसन में शरीर की आकृति कुछ इसी तरह की हो जाती है इसीलिए इसे शलभासन कहते है। यह लेटकर पेट के बल किए जाने वाला आसन है। इसे सही तरीके से करने और इससे होने वाले फायदों के बारे में हम आपको बताते हैं।
》 कैसे करें शलभासन :-
इस आसन की गिनती भी पेट के बल लेटकर किए जाने वाले आसनों में की जाती है। इसे करने के लिए पेट के बल लेटकर सबसे पहले ठोड़ी को जमीन पर टिकाएं। फिर दोनों हाथों को जंघाओं के नीचे दबाएं। तब श्वांस अन्दर लेकर दोनों पैरों को एक-दूसरे से सटाते हुए समानांतर क्रम में ऊपर की तरफ उठाएं। पैरों को और ऊपर उठाने के लिए हाथों की हथेलियों से जंघाओं को दबाएं। फिर सामान्य स्थिति में आने के लिए धीरे-धीर पैरों को जमीन पर ले आएं। फिर हाथों को जंघाओं के नीचे से निकालते हुए मकरासन की स्थिति में लेट जाएं।
》 शलभासन के फायदे :-
नियमित इस आसन का अभ्यास करने से कमर लचीली बनती है और सीना चौड़ा होता है, रक्त संचार तेज हो जाती है। पेट के अनेक रोग-अम्लता गैस बनना, पेट में गुड़गुड़ाहट, भूख न लगना, अपच आदि समस्यायें नहीं होतीं। यह आसन गर्भाशय संबंधी रोगों को दूर करता है। यह दिमाग को भी तेज कर सकारात्मकता लाता है। इस आसन के अभ्यास से मधुमेह में लाभ मिलता है।
》शलभासन में सावधानी :-
इस आसन का अभ्यास करते समय थोड़ी सावधानी बरतना जरूरी है। इसके दौरान घुटने से पैर नहीं मुड़ना चाहिए। ठोड़ी जमीन पर टिकी रहे। 10 से 30 सेकंड तक इस स्थिति में रहें। जिन्हें मेरुदण्ड, पैरों या जंघाओं में कोई गंभीर समस्या हो वह योग चिकित्सक से सलाह लेकर ही यह आसन करें।
हालांकि शलभासन बहुत ही आसान योगासन है, लेकिन योग का कोई भी आसन तभी फायदेमंद होगा जब आप उसे सही तरीके से करेंगे।