▪ लाइफस्टाइल डेस्क :-
लिवर कमज़ोर हो तो इसके कई साइड इफेक्ट्स होते हैं, जैसे एनीमिया, स्किन प्रॉब्लम्स, पीलिया, आंखों में दिक्कत। लेकिन तोरी इसके लिए किसी रामबाण से कम नहीं। लिवर स्ट्रॉन्ग करने के अलावा, तोरी बालों से जुड़ी समस्याएं भी कम करती है। इसे बेशक आप चाव से नहीं खाते हों, लेकिन इसमें कई गुण हैं।
लिवर कमज़ोर हो तो इसके कई साइड इफेक्ट्स होते हैं, जैसे एनीमिया, स्किन प्रॉब्लम्स, पीलिया, आंखों में दिक्कत। लेकिन तोरी इसके लिए किसी रामबाण से कम नहीं। लिवर स्ट्रॉन्ग करने के अलावा, तोरी बालों से जुड़ी समस्याएं भी कम करती है। इसे बेशक आप चाव से नहीं खाते हों, लेकिन इसमें कई गुण हैं।
तुरई या तोरी एक सब्जी है जिसे लगभग संपूर्ण भारत में उगाया जाता है। तुरई
का वानस्पतिक नाम लुफ़्फ़ा एक्युटेंगुला है। तुरई को आदिवासी विभिन्न रोगों
के उपचार के लिए उपयोग में लाते हैं। मध्यभारत के आदिवासी इसे सब्जी के तौर
पर बड़े चाव से खाते हैं और हर्बल जानकार इसे कई नुस्खों में इस्तमाल भी
करते हैं। हमारी सीरीज़ 'सेहत का खजाना' में आज जानते हैं तोरी के कुछ रोचक
हर्बल नुस्खों के बारे में।
1) लिवर के लिए गुणकारी :-
आदिवासी जानकारी के अनुसार लगातार तुरई का सेवन करना सेहत के लिए बेहद हितकर होता है। तुरई रक्त शुद्धिकरण के लिए बहुत उपयोगी माना जाता है। साथ ही यह लिवर के लिए भी गुणकारी होता है।
2) पीलिया समाप्त हो जाता है
पीलिया होने पर अगर रोगी की नाक में 2 बूंद तोरई के फल का रस डाल दें, तो नाक से पीले रंग का द्रव बाहर निकलता है। आदिवासी मानते हैं कि इससे पीलिया रोग जल्दी समाप्त हो जाता है।
● Other Benefits :-
बाल काले करने के लिए, मस्से झड़ते हैं, पथरी में आराम, दाद, खाज और खुजली से राहत, पेट दर्द दूर होता है, डायबिटीज़ में फायदा।
3) पथरी में आराम :-
तुरई की बेल को दूध या पानी में घिसकर 5 दिनों तक सुबह शाम पिया जाए, तो पथरी में आराम मिलता है।
4- दाद, खाज और खुजली से राहत
तुरई के पत्तों और बीजों को पानी में पीसकर त्वचा पर लगाने से दाद, खाज और खुजली जैसे रोगों में आराम मिलता है। वैसे ये कुष्ठ रोगों में भी हितकारी होता है।
5) पेट दर्द दूर होता है :-
अपचन और पेट की समस्याओं के लिए तुरई की सब्जी बेहद कारगर इलाज है। डांगी आदिवासियों के अनुसार अधपकी सब्जी पेट दर्द दूर कर देती है।
6) डायबिटीज़ में फायदा :-
तुरई में इंसुलिन की तरह पेप्टाइड्स पाए जाते हैं। इसलिए सब्ज़ी के तौर पर इसके इस्तेमाल से डायबिटीज़ में फायदा होता है।
7) बाल काले करने के लिए :-
पातालकोट के आदिवासियों के अनुसार तुरई के छोटे-छोटे टुकड़े काटकर छांव में सूखा लें। फिर इन सूखे टुकड़ों को नारियल के तेल में मिलाकर 5 दिन तक रख लें। बाद में इसे गर्म कर लें। इस तेल को छानकर प्रतिदिन बालों पर लगाएं और मालिश करें, इससे बाल काले हो जाते हैं।
8) मस्से झड़ते हैं :-
आधा किलो तुरई को बारीक काटकर 2 लीटर पानी में उबालकर, इसे छान लें। फिर प्राप्त पानी में बैंगन को पका लें। बैंगन पक जाने के बाद इसे घी में भूनकर गुड़ के साथ खाने से बवासीर में बने दर्द और पीड़ा युक्त मस्से झड़ जाते हैं।
1) लिवर के लिए गुणकारी :-
आदिवासी जानकारी के अनुसार लगातार तुरई का सेवन करना सेहत के लिए बेहद हितकर होता है। तुरई रक्त शुद्धिकरण के लिए बहुत उपयोगी माना जाता है। साथ ही यह लिवर के लिए भी गुणकारी होता है।
2) पीलिया समाप्त हो जाता है
पीलिया होने पर अगर रोगी की नाक में 2 बूंद तोरई के फल का रस डाल दें, तो नाक से पीले रंग का द्रव बाहर निकलता है। आदिवासी मानते हैं कि इससे पीलिया रोग जल्दी समाप्त हो जाता है।
● Other Benefits :-
बाल काले करने के लिए, मस्से झड़ते हैं, पथरी में आराम, दाद, खाज और खुजली से राहत, पेट दर्द दूर होता है, डायबिटीज़ में फायदा।
3) पथरी में आराम :-
तुरई की बेल को दूध या पानी में घिसकर 5 दिनों तक सुबह शाम पिया जाए, तो पथरी में आराम मिलता है।
4- दाद, खाज और खुजली से राहत
तुरई के पत्तों और बीजों को पानी में पीसकर त्वचा पर लगाने से दाद, खाज और खुजली जैसे रोगों में आराम मिलता है। वैसे ये कुष्ठ रोगों में भी हितकारी होता है।
5) पेट दर्द दूर होता है :-
अपचन और पेट की समस्याओं के लिए तुरई की सब्जी बेहद कारगर इलाज है। डांगी आदिवासियों के अनुसार अधपकी सब्जी पेट दर्द दूर कर देती है।
6) डायबिटीज़ में फायदा :-
तुरई में इंसुलिन की तरह पेप्टाइड्स पाए जाते हैं। इसलिए सब्ज़ी के तौर पर इसके इस्तेमाल से डायबिटीज़ में फायदा होता है।
7) बाल काले करने के लिए :-
पातालकोट के आदिवासियों के अनुसार तुरई के छोटे-छोटे टुकड़े काटकर छांव में सूखा लें। फिर इन सूखे टुकड़ों को नारियल के तेल में मिलाकर 5 दिन तक रख लें। बाद में इसे गर्म कर लें। इस तेल को छानकर प्रतिदिन बालों पर लगाएं और मालिश करें, इससे बाल काले हो जाते हैं।
8) मस्से झड़ते हैं :-
आधा किलो तुरई को बारीक काटकर 2 लीटर पानी में उबालकर, इसे छान लें। फिर प्राप्त पानी में बैंगन को पका लें। बैंगन पक जाने के बाद इसे घी में भूनकर गुड़ के साथ खाने से बवासीर में बने दर्द और पीड़ा युक्त मस्से झड़ जाते हैं।