● नार्मल डिलिवरी सिजेरियन डिलिवरी से ज्यादा सही होती है। क्योंकि सिजेरियन डिलिवरी करवाने पर स्ट्रैच मार्क्स आते है। साथ ही सिजेरियन डिलिवरी के बाद कई बातों का ध्यान रखना पड़ता है। जबकि नार्मल डिलिवरी में ऐसी कोई भी बड़ी समस्या नहीं आती। इसलिए ज्यादातर गर्भवती महिलाएं सिजेरियन डिलिवरी नहीं, बल्कि नार्मल डिलिवरी करवाना पसंद करती हैं।
कैसे हो नार्मल डिलिवरी
कैसे हो नार्मल डिलिवरी
1) अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें
बच्चे को जन्म देते वक्त आपको बेहद पीड़ा सहनी होती है और यह आसान नहीं होता। अगर आप कमजोर हैं और आप में खून की कमी है तो आपके लिए यह काफी मुशकिल होगा। इसलिए अपने स्वास्थ्य का पूरा-पूरा ध्यान रखें। ताकि आपको उस वक्त कम से कम तकलिफ हो।
बच्चे को जन्म देते वक्त आपको बेहद पीड़ा सहनी होती है और यह आसान नहीं होता। अगर आप कमजोर हैं और आप में खून की कमी है तो आपके लिए यह काफी मुशकिल होगा। इसलिए अपने स्वास्थ्य का पूरा-पूरा ध्यान रखें। ताकि आपको उस वक्त कम से कम तकलिफ हो।
2) अच्छा भोजन करें
गर्भवस्था के दौरान आपने डॉक्टर के कहे अनुसार ही भोजन करें। नार्मल डिलिवरी में आपके शरीर से दो से तीन चार सौ एम.एल. ब्लड जाता है। इसलिए ताकत और पोषण के लिए खाने में ज्यादा से ज्यादा पोषक तत्व खाएं। प्रेगनेंसी में आयरन और कैल्शियम की बहुत जरुरत पड़ती है इसलिए जितना भी हो सके अपने आहार में इसे जरुर शामिल करें।
3) शरीर में पानी की कमी से बचें
आपके गर्भाशय में शिशु एक तरल पदार्थ से भरी हुई झोली एमनियोटिक फ्लयूड में रहता है। जिससे बच्चे को ऊर्जा मिलती है। इसलिए आपके लिए रोजाना 8 से 10 गिलास पानी पीना बहुत जरुरी है। इससे आपके शरीर में पानी की कमी नहीं होती।
आपके गर्भाशय में शिशु एक तरल पदार्थ से भरी हुई झोली एमनियोटिक फ्लयूड में रहता है। जिससे बच्चे को ऊर्जा मिलती है। इसलिए आपके लिए रोजाना 8 से 10 गिलास पानी पीना बहुत जरुरी है। इससे आपके शरीर में पानी की कमी नहीं होती।
4) पैदल चलें और टहलते रहें
गर्भवति महिलाओं के लिए आराम जरूरी है, लेकिन इसका अर्थ अपने काम से जी चुराना नहीं है। कोशिश करें आपकी रोजमर्रा की जिंदगी में ज्यादा फर्क न आए। दफ्तर और घर के काम सामान्य रूप से ही करती रहें। पैदल चलना और टहलना आपके लिए अच्छा रहेगा। बाजार तक जाना हो तो कार या किसी वाहन के स्थान पर पैदल ही जाएं तो बेहतर। ऑफिस में भी जरा घूम-फिर लिया कीजिए।
गर्भवति महिलाओं के लिए आराम जरूरी है, लेकिन इसका अर्थ अपने काम से जी चुराना नहीं है। कोशिश करें आपकी रोजमर्रा की जिंदगी में ज्यादा फर्क न आए। दफ्तर और घर के काम सामान्य रूप से ही करती रहें। पैदल चलना और टहलना आपके लिए अच्छा रहेगा। बाजार तक जाना हो तो कार या किसी वाहन के स्थान पर पैदल ही जाएं तो बेहतर। ऑफिस में भी जरा घूम-फिर लिया कीजिए।
5) एक्ससाइज
अगर आप प्रेगनेंट होने के पहले से ही रोजाना एक्ससाइज करती आ रहीं हैं, तो नार्मल डिलिवरी होने के चांस बढ़ जाते हैं। गर्भवस्था के दौरान आप कोई फिटनेस सेंटर ज्वाइंन कर सकती है, जो आपकी मासपेशियों को मजबूत करने के लिए प्रशिक्षण दे सके। प्रसव के दौरान मजबूत मासपेशियों का होना बहुत जरूरी है।
इन उपायों को आजमाने से आपको स्वस्थ गर्भावस्था तो मिलेगी ही साथ ही आपका प्रसव भी काफी आरामदेह तरीके से हो सकेगा। याद रखिए, शारीरिक रूप से सक्रिय रहने का कोई विकल्प नहीं है। इससे गर्भावस्था के दौरान आप स्वस्थ रहती हैं और आपका बच्चा भी स्वस्थ पैदा होता है।
अगर आप प्रेगनेंट होने के पहले से ही रोजाना एक्ससाइज करती आ रहीं हैं, तो नार्मल डिलिवरी होने के चांस बढ़ जाते हैं। गर्भवस्था के दौरान आप कोई फिटनेस सेंटर ज्वाइंन कर सकती है, जो आपकी मासपेशियों को मजबूत करने के लिए प्रशिक्षण दे सके। प्रसव के दौरान मजबूत मासपेशियों का होना बहुत जरूरी है।
इन उपायों को आजमाने से आपको स्वस्थ गर्भावस्था तो मिलेगी ही साथ ही आपका प्रसव भी काफी आरामदेह तरीके से हो सकेगा। याद रखिए, शारीरिक रूप से सक्रिय रहने का कोई विकल्प नहीं है। इससे गर्भावस्था के दौरान आप स्वस्थ रहती हैं और आपका बच्चा भी स्वस्थ पैदा होता है।